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वो इतने करीब से निकल गई
वो इतने करीब से निकल गई, अंजान बनके। मोहब्बत थी, बरना चुनर उड़ा लेते, हैवान बनके। अब इशारों -इशारों में रह गई जिंदगी, सुखी, उदास, गुलाब की पंखुड़ियों सी, किताबों में बंध के. परमीत सिंह धुरंध…