इंसान को इंसान का, बस चाहिए यहाँ साथ,
फिर क्या वक्त अच्छा, और क्या है वक्त ख़राब?
पाप-पुण्य, धर्म-अधर्म, सब है इसके बाद.
धन-दौलत, कर्म-ज्ञान, बिन इसके सब है बेकार।
इंसान को इंसान का, बस चाहिए यहाँ साथ.
फिर क्या वक्त अच्छा, और क्या है वक्त ख़राब?
परमीत सिंह धुरंधर