तुम पराई तो नहीं, बस एक डोली उठ जाने से,
लहू लाल है नशों में दोनों के, एक ही पिता से.
रोशन तुमसे आज भी है ये आँगन और पिता का नाम,
तुम परछाई तो नहीं एक घर बदल जाने से.
परमीत सिंह धुरंधर
तुम पराई तो नहीं, बस एक डोली उठ जाने से,
लहू लाल है नशों में दोनों के, एक ही पिता से.
रोशन तुमसे आज भी है ये आँगन और पिता का नाम,
तुम परछाई तो नहीं एक घर बदल जाने से.
परमीत सिंह धुरंधर