हौले – हौले चलके,
पतली कमर पे,
बलखाने लगी है तू.
तू हो गयी है जवाँ,
अब छोड़ दे मायका।
भोली – भली आँखों में,
शर्म को उतार के,
छुपने लगी है तू.
तू हो गयी है जवाँ,
अब छोड़ दे मायका।
कंगन तुझको है भाने लगे,
मेहँदी तुझपे है जचने लगी,
करवा – चौथ छुप के करने लगी है तू.
तू हो गयी है जवाँ,
अब छोड़ दे मायका।
फूलों सा बदन तेरा,
चंचल नयन तेरे,
मृग सी छलने लगी है तू.
तू हो गयी है जवाँ,
अब छोड़ दे मायका।
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परमीत सिंह धुरंधर