आवsअ दिल के दिल से करार करके,
तहरा के बेगम – जान कह दीं.
तू पीसsअ सरसो हमार सिलवट पे,
हम घर-दुआर सब तहरा ही नाम कर दीं.
जहिया से देखनी रूप तहार पनघट पे,
प्यास उठल बा अइसन इह मन में,
की मन करे पनघट पे ही घर कर दीं.
आवsअ तहरा अधर-से-अधर जोड़ के,
तहके आज आपन प्राण -प्यारी कह दीं.
परमीत सिंह धुरंधर