बेगम – जान हो, हमारी तुम बेगम -जान हो,
हम हैं सुखल छुहारा तुम पहलवान हो.
खाती हो, खिलाती हो, धौंस भी दिखती हो,
बीस बरस की शादी के बाद भी,
सोलह सी सरमाती हो.
दो बच्चों की अम्मा,
तुम अब भी बड़ी नखरेबाज हो.
बेगम – जान हो, हमारी तुम बेगम -जान हो.
हम हैं सुखल छुहारा तुम पहलवान हो.
मन की सच्ची हो, कान की कच्ची,
पुरे मोहल्ले की सहेली हो तुम पक्की।
पल में हवा में महल बना देती हो,
बात – बात में मायके का करती गुमान हो.
दो लड़कियों की अम्मा तुम अब भी कच्ची -कचनार हो.
बेगम – जान हो, हमारी तुम बेगम -जान हो.
हम हैं सुखल छुहारा तुम पहलवान हो.
परमीत सिंह धुरंधर