तुम्हारी जवानी का नशा ही ऐसा है प्रिये,
बस आँखों ने संभाला है मुझे।
टकटकी लगी है तुम्हारे वक्षों पे,
सावन भी उतर आया है जिसपे खेलने।
परमीत सिंह धुरंधर
तुम्हारी जवानी का नशा ही ऐसा है प्रिये,
बस आँखों ने संभाला है मुझे।
टकटकी लगी है तुम्हारे वक्षों पे,
सावन भी उतर आया है जिसपे खेलने।
परमीत सिंह धुरंधर