जब मेरी शादी होगी,
तो नाचेंगे बाराती।
मेरे शक्लो-सूरत पे,
तो कोई देख,
मेरी बीबी – देहाती।
मेरे आँखों पे होगा चश्मा,
और उसके मुख पे घूँघट लंबा।
उसको मिलेगा एक गवार,
और मुझको एक लाठी।
हंस – हंस कर, झूमेंगे,
झूम – झूम कर हँसेंगे,
वो अपनी ऊँची किस्मत पे,
और देख मेरी कामचलाऊं जोड़ी।
परमीत सिंह धुरंधर