मैंने चाहा है तुझे आवारा बनके,
तू मिटा दे मुझे अब बेवफा बनके।
माना की हसरते तेरी महफ़िल में कितनो को,
मगर तुझे भी कोई ठग जाएगा,
किसी दिन तेरा अपना बनके।
हुस्न की बिसात सिर्फ दो-रातों की,
जितना जलना है तू जल ले, शमा बन के.
तेरे यौवन से बढ़के कोई यौवन आएगा एक दिन ,
जो ले जाएगा तेरे परवाने को अपना कह के.
ताजमहल बनाते है जो इश्क़ में उन्हें क्या पता?
कितनो को दफ़न किया है तुमने सजना कह के.
परमीत सिंह धुरंधर