नित संवर कर जो मन को लुभाती हो,
सीने से लग कर जो हर दर्द हर लेती हो.
भार्या वही सर्वोत्तम है जो हर स्थिति में,
अपने चौखट पे हर पल मुस्काती हो.
उषा का जो आँगन में स्वागत करे,
निशा को जो नयनों से चंचल करे.
भार्या वही सर्वोत्तम है जो हर स्थिति में,
जो सेज पे सखी सा सम्मोहित कर लेती हो.
परमीत सिंह धुरंधर