शादी हो गयी बेबी की,
तो बेबी बोली, ऐ विक्की।
चल मना लें हम हनीमून,
शोर – शराबे से कहीं दूर.
मेरी कमर पे हो तेरे बाज़ू,
तेरी साँसों पे हो मेरा काबू।
सुबह – शाम के चुंबन के साथ,
चलेगा गरमा – गरम चाय पे चनाचूर।
मेरी जवानी ढल जाए,
उसके पहले संभल ले,
मैं उड़ जाऊं, उसके पहले बाँध ले.
नौ – महीने में दे दूंगी एक लल्ला तुझको,
खिला – खिला के लड्डू मोतीचूर।
परमीत सिंह धुरंधर