इश्क़ मत करिये,
नहीं तो तन्हाईयाँ रुलायेंगी।
पिता को मत छोड़िये,
वरना रुस्वाइयाँ रुलायेंगी।
माँ को मत छोडो,
वरना थालियाँ रुलायेंगी।
भाई अगर साथ ना हो,
तो खुशियाँ रुलायेंगी।
और बहन को मत भूलों,
वरना सुनी कलाइयाँ रुलायेंगी।
और इन सबको छोड़ देता है,
उसको तो जिंदगी रुलायेगी।
परमीत सिंह धुरंधर