मुफ्त की रोटियाँ और हुस्न की मीठी बोलियाँ,
दोनों भविष्य को बिगाड़ देती हैं.
कौन हुआ है अमीर इस दौलत को पाकर?
ये तो आने वाली नस्लों तक को बिगाड़ जाती है.
शोहरतों के किस्से कई हैं संसार में,
मगर ये शोहरतें माँ- बाप से रिस्ता बिगाड़ देती हैं.
जिन्हे गुमान है हुस्न की वफ़ा पे, वो नहीं जानते की,
नागिन बिना दर्द के केंचुल उताड़ देती है.
परमीत सिंह धुरंधर