शराब पुरानी हो अगर,
नशा होता है गजब का.
राहें काँटों से सजी हो,
सबक कुछ तो होता है, नया सा.
क्या हुआ अगर हुस्न बेवफा ही सही?
मोहब्बत तो दे गयी वो, तुझे एक रात का.
शादी हो गयी हो,
दुल्हन हो या बहू उतर गयी हो.
मिल जाए तो छोडो मत,
हुस्न हुआ ही कब है किसी का.
मुझे मिल जाए किसी मोड़ पे तो,
थाम लूँ.
चमक उठे मेरे लबों पे,
लाली उसके लबों का.
परमीत सिंह धुरंधर