मौसम के बदलने का इंतज़ार कर रहे हो,
तुम हुस्न वालों से वफ़ा की मांग कर रहे हो.
जो घर में आते ही माँ को अलग कर दे,
तुम उस औरत से घर का श्रृंगार कर रहे हो.
परमीत सिंह धुरंधर
मौसम के बदलने का इंतज़ार कर रहे हो,
तुम हुस्न वालों से वफ़ा की मांग कर रहे हो.
जो घर में आते ही माँ को अलग कर दे,
तुम उस औरत से घर का श्रृंगार कर रहे हो.
परमीत सिंह धुरंधर