यूँ ही नहीं उन्हें शौक है मेरे अश्कों का,
हर किसी को मेरी मौत का इंतज़ार है.
अपनी मंजिलें छोड़कर,
वो रखते हैं नजर बस मेरी राहों पे.
हर किसी को यहाँ मेरे गिरने का इंतज़ार है.
परमीत सिंह धुरंधर
यूँ ही नहीं उन्हें शौक है मेरे अश्कों का,
हर किसी को मेरी मौत का इंतज़ार है.
अपनी मंजिलें छोड़कर,
वो रखते हैं नजर बस मेरी राहों पे.
हर किसी को यहाँ मेरे गिरने का इंतज़ार है.
परमीत सिंह धुरंधर