बड़ा – बड़ा बाबूसाहेब बिछल गइलन एहि चोली पे,
कैसे खोल दी बटनिया राजा तहरा बथानी में?
एहि कमर के लचक पे बिक गइल,
कतना के मकान – जमीन पुश्तैनी रे,
कैसे उठा दी इ लहंगा राजा तहरा बथानी में?
दिन भर हाँके पीया हमार बैल पटवारी के,
रतिया में औंघा जाला ओहिजा वोकरे बथानी में.
अभियों कोरा बाटे ये जोबन हाँ हमार,
कैसे लुटा दी राजा अइसन जोगवल थाती के.
परमीत सिंह धुरंधर