माना सत्ता पे बैठे सत्ताधीशों की नजरें बाज सी होती है,
पर ये धरती है बिहार की साहब,
यहाँ की हर चिड़इयाँ सौ – सौ बाजों पे भारी है.
जब भी गहन निंद्रा में सो जाता है कोई अपने मद और दम्भ से,
तो ये धरती है बिहार की साहब,
यहाँ का एक शिक्षक वैसे सौ – सौ महानंदों पे भारी है.
परमीत सिंह धुरंधर