हुश्न का मैं शौक़ीन हूँ,
खाता सतुआ और नून हूँ.
जिला है छपरा,
बिहारी मगरूर हूँ.
दोस्तों की कमी है,
दुश्मनों की भीड़ है.
सबके दिलों में बनके,
एक गाँठ मौजूद हूँ.
बस वक्षों पे मेरा निशाना है,
कहती सब मुझे कमीना हैं.
किसी की नफरत में,
तो किसी की चाहत में,
रखता वजूद हूँ.
परमीत सिंह धुरंधर