तेरी काली – काली आँखों में हम काजल बनकर बह जाएँ,
तेरे गोरे – गोरे गालों पे कहीं तिल बन कर ठहर जाएँ.
इस देश – सीमा के विवादों से दूर, तुझे लेके कहीं बस जाएँ,
मेरे नन्हें – मुन्नें चार, मेरा नाम लेकर, हर सुबह तुझसे लिपट जाएँ।
परमीत सिंह धुरंधर
तेरी काली – काली आँखों में हम काजल बनकर बह जाएँ,
तेरे गोरे – गोरे गालों पे कहीं तिल बन कर ठहर जाएँ.
इस देश – सीमा के विवादों से दूर, तुझे लेके कहीं बस जाएँ,
मेरे नन्हें – मुन्नें चार, मेरा नाम लेकर, हर सुबह तुझसे लिपट जाएँ।
परमीत सिंह धुरंधर