ए चिड़िया,
तू उड़ती है कैसे?
नन्हें परों पे हौसला लेकर।
सुबह – सुबह निकल आती है,
सबसे पहले अपने घोसलें से.
जाने क्या ढूंढती है?
तुझे क्या मिलता है?
यूँ चहक – चहक कर,
गुंजन करने में.
ए चिड़िया,
तू फुदकती है कैसे?
बाज के शहर में,
यूँ निडर होकर।
परमीत सिंह धुरंधर