कौन कहता है की मैंने?
मेनका को नहीं देखा।
बस गर्भ से निकल कर,
धरती पे शकुंतला को रोते नहीं देखा।
पेट भरने को उसका,
खगचर भी तैयार हैं लाखों।
पर इतनी मेनकाओं के होते,
एक शकुंतला को जन्मते,
किसी ने नहीं देखा।
परमीत सिंह धुरंधर
कौन कहता है की मैंने?
मेनका को नहीं देखा।
बस गर्भ से निकल कर,
धरती पे शकुंतला को रोते नहीं देखा।
पेट भरने को उसका,
खगचर भी तैयार हैं लाखों।
पर इतनी मेनकाओं के होते,
एक शकुंतला को जन्मते,
किसी ने नहीं देखा।
परमीत सिंह धुरंधर