अपनी – अपनी जिंदगी को जियों दोस्तों,
दूसरों के लिए लड़ना छोड़ो दोस्तों।
ये काम हैं फेमिनिस्टों – कम्युनिस्टों का,
कभीं उनको ये करने से ना रोको दोस्तों।
अगर हौसला है तो सामाज के लिए खुद को बदलो,
दूसरों को जयचंद कहना छोड़ो दोस्तों।
रोने का काम है नारी और केजरीवाल का,
कभीं उनको ये करने से ना रोको दोस्तों।
हौसला है तो सीमा पे लड़ों,
गलियों में मुठभेड़ अब छोड़ो दोस्तों।
काली – काली रातों को काली घटाओं का पता,
किसको है खबर और अंदेशा किसको दोस्तों।
हौसला हैं तो खुद मशाल बनो।
बिजलियों से रौशनी के लिए हाथ जोड़ना छोड़ो दोस्तों।
माँ का दूध पीया है तो सेवा भी करों,
बीबी के आँचल में सोना छोड़ो दोस्तों।
बिहारी हो तो गर्व से कहना सिखों,
ये फेसबुक – व्हाट्सप पे लिखना अब छोड़ो दोस्तों।
सारे ही रिश्ते हैं यहाँ फरेब के,
मंगलसूत्र अब पहनाना छोड़ो दोस्तों।
परमीत सिंह धुरंधर