सारा शहर जान गया है,
दर्द मेरे मन का.
कितनी चिड़ियाँ चुग गयीं हैं,
दाना मेरे आँगन का.
मैं हूँ भोला, मैं हूँ सीधा,
चिड़ियाँ बहुत चतुर हैं.
फुदक – फुदक के लूट रहीं हैं,
एक – एक कोना मेरा उपवन का.
परमीत सिंह धुरंधर
सारा शहर जान गया है,
दर्द मेरे मन का.
कितनी चिड़ियाँ चुग गयीं हैं,
दाना मेरे आँगन का.
मैं हूँ भोला, मैं हूँ सीधा,
चिड़ियाँ बहुत चतुर हैं.
फुदक – फुदक के लूट रहीं हैं,
एक – एक कोना मेरा उपवन का.
परमीत सिंह धुरंधर