माँ एक शब्द नहीं,
संसार है.
माँ सिर्फ धन नहीं,
कल्पवृक्ष, धेनुगाय है.
माँ सागर सी गहरी नहीं,
बल्कि अनंत हैं.
माँ ब्रह्मा, विष्णु, महेश नहीं,
गंगा, सरस्वती भी है.
माँ सिर्फ साकार एक तन नहीं,
निराकार सम्पूर्ण ब्रह्म है.
परमीत सिंह धुरंधर
माँ एक शब्द नहीं,
संसार है.
माँ सिर्फ धन नहीं,
कल्पवृक्ष, धेनुगाय है.
माँ सागर सी गहरी नहीं,
बल्कि अनंत हैं.
माँ ब्रह्मा, विष्णु, महेश नहीं,
गंगा, सरस्वती भी है.
माँ सिर्फ साकार एक तन नहीं,
निराकार सम्पूर्ण ब्रह्म है.
परमीत सिंह धुरंधर