जब बारू एक के खाट पे


लूट ले ब अ का हो सैयां आज एके रात में?
तानी त धीरज धर अ, अब त बानी उम्र भर तहरे साथ में.

अंग – अंग ताहर, खिलल- खिलल, हंसुआ के धार नियर,
कैसे रखीं धीरज रानी, तुहीं कह द, जब बारू एक के खाट पे?

त तोड़ दे ब अ का हो सैयां आज खटिया एके रात में?
तानी त धीरज धर अ, अब त बानी उम्र भर तहरे साथ में.

अंग – अंग ताहर, खिलल- खिलल, हंसुआ के धार नियर,
कैसे रखीं धीरज रानी, तुहीं कह द, जब बारू एक के हाथ पे.

 

परमीत सिंह धुरंधर

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