मत पूछो दरियावों से समंदर का पता,
ये तो सीधी राहों को भी टेढ़ा बना देती हैं.
हुस्न क्या कहेगा, की वफ़ा क्या है?
ये तो तीस के बाद शादी, और शादी के बाद,
पति को सबसे अच्छा बताती हैं.
यूँ ही नहीं पाला है कुत्तों का शौक मैंने,
किसी के भी कुत्ते को वो गले लगा लेती हैं.
उनसे क्या पूछते हो दोस्त इश्क़ में कुछ भी?
वो तो,
दौलत के लिए किसी को भी शौहर बना लेती हैं.
परमीत सिंह धुरंधर