शेर हूँ
सवार हूँ
चेतक पे तैयार हूँ
मैं रौदूंगा मुगलों को
मैं महाराणा प्रताप हूँ.
लहू है मुझमे सिसोदिया
करता एकलिंग को प्रणाम हूँ.
हार से मुझे भय नहीं
मुसलामानों से कोई मेरा बैर नहीं
सर झुका दूँ अकबर पे
ऐसा उसका ताज नहीं।
मेवाड़ से मुझको प्यार है
मिटटी मेरी शान है
रखता आज़ादी का अभिमान हूँ
मैं रौदूंगा मुगलों को
मैं महाराणा प्रताप हूँ.
परमीत सिंह धुरंधर
Sundar rachna.👌👌
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Thanks Madhusudan Jee for kind words!!!!
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