मोहब्बत ने हर तरफ दे अधूरा कर दिया,
जिस शहर के हम शहंशाह थे,
उसी की गलियों में रुस्वा कर गई।
क्या पीना और पिलाना दोस्त,
मेरे हाथ की लकीरों का जोर देख,
दूसरों को दिया तो दवा,
और खुद पे जहर का काम कर गई.
परमीत सिंह धुरंधर
मोहब्बत ने हर तरफ दे अधूरा कर दिया,
जिस शहर के हम शहंशाह थे,
उसी की गलियों में रुस्वा कर गई।
क्या पीना और पिलाना दोस्त,
मेरे हाथ की लकीरों का जोर देख,
दूसरों को दिया तो दवा,
और खुद पे जहर का काम कर गई.
परमीत सिंह धुरंधर