काली उसकी अँखियों में रस है भर रहा,
मैं पीने गया तो उसने आँखे मूँद ली.
उसके अधरों पे अमृत है बसा,
मैं पीने गया तो उसने घूँघट घींच ली.
परमीत सिंह धुरंधर
काली उसकी अँखियों में रस है भर रहा,
मैं पीने गया तो उसने आँखे मूँद ली.
उसके अधरों पे अमृत है बसा,
मैं पीने गया तो उसने घूँघट घींच ली.
परमीत सिंह धुरंधर