वो सैयां जी
तानी करा ना दी गवनवा
जोबनवा बेकार होता।
भौजी रोजे दे तारी उल्हनवा
जोबनवा बेकार होता।
मन हमरो करSता
की धोई राउर बर्तनवा।
जोबनवा बेकार होता।
दरजी बढ़ावता बजनवा
जोबनवा बेकार होता।
बिन निंदिया भइलन नयनवा
जोबनवा बेकार होता।
सींचSता रोजे हमके परधानवा
जोबनवा बेकार होता।
अब का करबा बुढ़ापा में जतनवा
जोबनवा बेकार होता।
ना भैया के चिंता, ना बा बाबुल के फिकरवा
जोबनवा बेकार होता।
दुगो फूल त खिला ल अंगनवा
जोबनवा बेकार होता।
तनी रखी कभी हमरो मनवा
जोबनवा बेकार होता।
की अँटकल बा रउरे में प्राणवा
जोबनवा बेकार होता।
वो सैयां जी
तानी करा ना दी गवनवा
जोबनवा बेकार होता।
परमीत सिंह धुरंधर