जीत – हार तो बस एक परिणाम है
वीरों का लक्ष्य तो तीरों का संधान है.
अंत तो निश्चित है स्यवं प्रभु के भी देह का
मिटने से पहले रौंदना ब्रह्माण्ड है.
सबको ज्ञान हो सबको आभास हो
मेरे पदचाप पे नतमस्तक हर अभिमान हो.
बिखंडन तो सृष्टि में सृजन की नई शुरुआत है
मिटने से पहले रौंदना ब्रह्माण्ड है.
प्रभु शिव का भक्त हूँ, भय नहीं गरल से
अमरत्व की चाह नहीं इस जीवन में.
मेरा भी दम्भ बढ़ रहा
करना अनंत तक इसका विस्तार है
मिटने से पहले रौंदना ब्रह्माण्ड है.
हर किसी को मिलता नहीं मौक़ा कुरुक्षेत्र में
सौभाग्या के धनी ही बहाते हैं रक्त रण में.
रक्त की पिपासु रणचंडी से सुशोभित मेरी कृपाण है
मिटने से पहले रौंदना ब्रह्माण्ड है.
Dedicated to Rashtra Kavi Ramdhari Singh Dinkar jee who was from my state Bihar.
परमीत सिंह धुरंधर