हर पल में इरादों का
बिखंडन होता है.
हर पल में इरादों का
सृजन होता है.
फिर क्या गम है?
किसी के खोने का.
हर पल – हर क्षण में सृष्टि में
कुछ – न – कुछ नव-निर्मित होता है.
वीर वही जो ना विस्मित हो
ना अचंभित, ना भ्रमित हो
प्रभु शिव के तांडव से ही
सृष्टि का श्रृंगार होता है.
परमीत सिंह धुरंधर