नारी तू अनमोल है
अमूल्य है
इस धरा पे स्वर्ग के
तुल्य है.
तू सजे – संवरे
तो सितार में धुन है.
तू विचरण करे
तो तुझपे प्रकीर्ति स्थिर है.
तेरे दो नयनों में
सागर असीम है.
नारी तू अमूल्य है.
परमीत सिंह धुरंधर
नारी तू अनमोल है
अमूल्य है
इस धरा पे स्वर्ग के
तुल्य है.
तू सजे – संवरे
तो सितार में धुन है.
तू विचरण करे
तो तुझपे प्रकीर्ति स्थिर है.
तेरे दो नयनों में
सागर असीम है.
नारी तू अमूल्य है.
परमीत सिंह धुरंधर