इश्क़ करने चले थे
धर्म बीच में आ गया.
मंदिर छोड़ दी मैंने
उनसे मगर चर्च न छूटा।
उन्हें शक था
गाँव के जाहिल लोग
इस रिश्ते को स्वीकार नहीं करेंगें।
मगर अंत में उनके शहर के लोगों ने
बीच में दीवार चुनवा दिया।
गाँव छोड़ दी मैंने
मगर उनसे शहर न छूटा।
अंत भी इस कदर हुआ
इश्क़ का मेरे
की बेवफाई का हर ठीकरा
मेरे सर ही फूटा।
इश्क़ करने चले थे
धर्म बीच में आ गया.
मंदिर छोड़ दी मैंने
उनसे मगर चर्च न छूटा।
परमीत सिंह धुरंधर
उम्दा
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Thanks for your kind comment and time Vaishali Singh jee!!!
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