बड़ी भारी भइल बा जोवन
कर अ ता बड़ी जुलम।
तनी देखि ना पतरा पंडित जी
कहिया लागि लगन?
चढ़ल जाता इ उम्र
सूना – सूना जाता हर सावन।
तनी देखि ना पतरा पंडित जी
कहिया लागि लगन?
सारी सखियाँ भइली लरकोरी
झुल अ तारी भरके गोदी
ललचे रहल – रहल हमरो मन.
तनी देखि ना पतरा पंडित जी
कहिया लागि लगन?
परमीत सिंह धुरंधर