आज भी उनसे मोहब्बत का इरादा रखते हैं
हम इस शहर में अब भी अपना हिस्सा रखते हैं.
वो बेवफा हैं और उनको गुमान भी है इसका
मगर उनकी भी मज़बूरी है
वो चारपाई ही है मेरी
जिसपे वो अपने यार का तकिया रखते हैं.
परमीत सिंह धुरंधर
आज भी उनसे मोहब्बत का इरादा रखते हैं
हम इस शहर में अब भी अपना हिस्सा रखते हैं.
वो बेवफा हैं और उनको गुमान भी है इसका
मगर उनकी भी मज़बूरी है
वो चारपाई ही है मेरी
जिसपे वो अपने यार का तकिया रखते हैं.
परमीत सिंह धुरंधर