उनकी आँखों ने मेरा हर रंग उतार दिया
चोली के एक – एक बटन पे
उसने मेरा एक – एक बिगहा ले लिया।
इश्क़ बड़ा महँगा है दोस्तों
जाने वो कैसे कहतें हैं?
की उन्होंने ने अपना इश्क़ पा लिया।
वो जाने चढ़ गयी किसकी डोली?
उसकी नसीब बनकर
जिसकी वक्षों के एक – एक स्पंदन पे
हमने खेत -खलिहान, बागान -बथान
गाय – बैल, भैंस – बकरी
नाद, खूंटा, भूंसा
अरे पगहा तक उसके नाम लिख दिया।
परमीत सिंह धुरंधर