इश्क़ अगर जामने में किसी ने किया है
तो सिर्फ बाबूसाहेब लोगों ने
आज का इश्क़ तो एक समझौता है.
एक वक्त था जब कहते थे
इश्क़ में बर्बाद हो जाओगे
आज तो बस इश्क़ में व्यापार होता है.
और ये व्यापार ही है
जिसके अंत में घाटे – फायदे का हिसाब होता है.
एक वक्त था
हम बिहार में लूट कर प्रेम में
कलकत्ता में जी लेते थे
किसी का नौकर बनकर
तो किसी के हाथगाड़ी में बंधकर।
आज तो घाटा ज्यादा हो प्रेम में तो
हत्या या आत्महत्या, इसका अंजाम होता है.
इश्क़ अगर जामने में किसी ने किया है
तो सिर्फ बाबूसाहेब लोगों ने
आज का इश्क़ तो एक समझौता है.
परमीत सिंह धुरंधर