समाहित कर हर एक धारा को
जो अब भी खरा हो
उसकी विशालता का फिर प्रमाण क्या?
और जो उस विशाल ह्रदय को
कम्पित कर दे क्षण भर में
उस धनुषधारी की समूर्णता का फिर प्रमाण क्या?
परमीत सिंह धुरंधर
समाहित कर हर एक धारा को
जो अब भी खरा हो
उसकी विशालता का फिर प्रमाण क्या?
और जो उस विशाल ह्रदय को
कम्पित कर दे क्षण भर में
उस धनुषधारी की समूर्णता का फिर प्रमाण क्या?
परमीत सिंह धुरंधर