काट – काट दांत से
बेहाल कर रहे मुझे
१५ अगस्त को
साजन मेरे सेज पे.
क्या सम्भालूं मैं चुनर?
और क्या चोली के बटन?
तोड़ – तोड़ भेंक रहे
१५ अगस्त को
साजन मेरे सेज पे.
शर्म की बेड़ियों में
जकड़ा मेरा यौवन
तार – तार कर रहे
१५ अगस्त को
साजन मेरे सेज पे.
जोश है, उमंग है
ह्रदय है दोनों संग में
नया भविष्य गढ़ रहे
१५ अगस्त को
साजन मेरे सेज पे.
प्राचीन परम्पराओं
की पराधीनता के खिलाफ
शंखनाद कर रहे
१५ अगस्त को
साजन मेरे सेज पे.
नस – नस में विजलियाँ
अंग – अंग में रक्तचाप
क्षण – क्षण में भर रहे
१५ अगस्त को
साजन मेरे सेज पे.
परमीत सिंह धुरंधर