अपनी – अपनी जिंदगी में
अपना – अपना ख्वाब है.
तुम चाहो तो साथ चल लो
वरना अकेला ही ये संसार है.
छोटी सी उम्र में ही
अब चेहरे पे तनाव है.
तुम चाहो तो इसे हर लो
वरना जीवन का यही सार है.
प्रेम कहाँ सच्चा?
सब धोखा और व्यापार है.
तुम चाहो तो ये सौदा कर लो
वरना लम्बी यहाँ लगी कतार है.
परमीत सिंह धुरंधर