दौर तुम्हारा हो सकता है
शौर्या तुम्हारा नहीं।
कलम तुम्हारी हो सकती है
इतिहास तुम्हारा नहीं।
वक्त तुम्हारा हो सकता है
मेरा दम्भ तुम्हारा नहीं।
सत्ता तुम्हारी हो सकती है
मगर राजपूतों का अहंकार तुम्हारा नहीं।
विश्व को जीत सकते हो तुम
पर राजपूतों की जितना, वश में तुम्हारे नहीं।