आज जब राहों से
गुजर रहा था
तो फूलों की पंखुड़ियों ने पूछा
इस शहर में अब भौरें नहीं है क्या?
मैंने कहा
भौरें तो हैं, मगर अब 377 नहीं हैं यहाँ।
इतने में कौवों का एक समूह
उड़ता हुआ आया और बोला
तो कश्मीर से दाना हम भी चुग आये क्या?
मैंने कहा, ” काश्मीर से दाना, क्यों?”
यहाँ दाना नहीं मिलता क्या?
कौवें बोले वो 370 के कारण
काश्मीरी कौवें तो चुगते है दाना
घूम – घूम कर, उड़ – उड़ कर
पर हम पे प्रतिबंध है वहाँ।
मैंने कहा की हजूर
377 हटी है 370 नहीं।
कौवें बोले की ये क्या माजरा है?
इंसान चाँद पे पहुँच गया
और गिनती भूल गया.
दुनिया को जीरो देने वाला
आज खुद
377 हटाने से पहले 370 भूल गया.
इंसान भी गजब है
कौवों को धोकेबाज पक्षी कहते हैं.
और खुद मैनिफेस्टो में कुछ लिखकर
सरकार ने कुछ कहा
और कानून कुछ और ला दिया।
सदियों से चली आ रही कहावत
“कौवा चला हंस की चाल ……”
अब कोई इसे इंसानों पे आजमाए।
भाजपा चली कांग्रेस की चाल
70 – 70 बोल के 77 का
लगा गयी भाव.
परमीत सिंह धुरंधर