माता का नाम सुशीला,
और पिता का नाम हो धुरंधर,
तो फिर पुत्र अद्भुत होगा ना.
उसपर माटी हो छपरा की,
तो फिर वो Crassa होगा ना.
पढ़ने में चतुर, लिखने को आतुर,
प्रेम में व्याकुल हर क्षण
वो निरंतर होगा ना.
शिव जी का उपासक,
गणेश जी का भक्त,
माँ सरस्वती के चरणों में रोज
माथा नवाता होगा ना.
हारवर्ड के पछुआ में
पुरबा गाता होगा ना.
परमीत सिंह धुरंधर