हसरते उन्ही की दिलों में रखिये
जिनकी यादों में हैं पीने लगे.
कब तक संभालोगे जाम हाथों से
आँखों से दर्द जब हैं छलकाने लगे.
अधूरा है जीवन सब का यहाँ
चाहे राम हो या गुरु गोबिंद सिंह जी.
राजपूत वो ही है सच्चा
जो रणभूमि में अपनों पे गांडीव उठाने लगे.
परमीत सिंह धुरंधर