परिंदों को आसमा से अधिक क्या चाहिए?
बहारों को गुलिस्ता से अधिक क्या चाहिए?
दिल है मेरा, ये कुछ भी नहीं माँगता
तुझसे तेरी एक नजर के अधिक क्या चाहिए?
संभाल लेंगे खुद को तेरी जुदाई में
बस एक जिंदगी है पास,
चंद साँसों से अधिक क्या चाहिए?
दर्द आंसू में बदल जाए ऐसा भी नहीं होगा
मोहब्बत में तुझे इससे भी अधिक क्या चाहिए?
देखना सेज पे कहीं मेरी याद ना आ जाए
अब दुआओं में इससे अधिक क्या चाहिए?
सलामत रहे तेरी जवानी यूँ ही
अब इस शहर को इससे अधिक क्या चाहिए?
प्यास यूँ ही रहेगी लबों पे मेरे
तेरे मयखाने को इससे अधिक क्या चाहिए?
हर दौलत संभाल के रखी है एक रुमाल में बाँध के
मेरी शोहरत को इससे भी अधिक क्या चाहिए?
परमीत सिंह धुरंधर