हर तन्हा इश्क़ नहीं करता तन्हाई में
हर मोहब्बत की मंजिल नहीं सजती है शहनाई से.
तुझे क्या पता कैसे सजा के रखा है यादों में तुझे?
हर दर्द ब्यान नहीं होता आँखों की रुलाई और शब्दों की गहराई से.
लड़ेंगे हम आखिरी साँसों के दम तक
इतिहास नहीं बनता सिर्फ जीत की मिठाई से.
परमीत सिंह धुरंधर