दास्ताँ सबकी अधूरी यहाँ
क्या सेठ, क्या भिखारी है?
आसमा का चाँद अधूरा
तारों का ताप अधूरा
सबकी पूजनीय तुलसी
अपने आँगन में ही अकेली है.
दास्ताँ सबकी अधूरी यहाँ
क्या सेठ, क्या भिखारी है?
दुर्बल – से सबल
हर वीर की एक ही गति
जीवन की हैं चार अवस्था
बुढ़ापा सबपे भारी है.
दास्ताँ सबकी अधूरी यहाँ
क्या सेठ, क्या भिखारी है?
परमीत सिंह धुरंधर