नर्मदा


सर्वदा – सर्वदा
बहती रहो धरा पे
नर्मदा – नर्मदा।

सम्पूर्ण करती हो भारत को
यूँ ही सम्पन करती रहो भारत को
गंगा – जमुना,
ताप्ती – गोदावरी – नर्मदा।

तुम्हारे ही तट पे रचे गए
वेद-उपनिषद-पुराण
तुम्हारे ही धाराओं से
उत्पन हुए ऋषि – मुनि – विद्वान।

सदियों से कर रही हो
भारत को परिभाषित
यूँ ही बनी रहो भारत की परिभाषा
सर्वदा – सर्वदा, नर्मदा – नर्मदा।

युगो – युगो से
पाल रही, पोस रही
सृष्टि को इस धरती पे
युगो – युगो तक यूँ ही माँ
करती रहो सबपे कृपा
सर्वदा – सर्वदा, नर्मदा – नर्मदा।

 

परमीत सिंह धुरंधर

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s